तपती धरती … उमस भरी गर्मी और भुट्टा बेचती महिलाएं

एक ओर सावन के पावन माह में जहाँ केसरिया रंग से पूरा शिवनगरी बाबा बासुकीनाथ धाम पटा हुआ है, पूरे उत्साह उमंग से श्रद्धालु लाखों की संख्या में फ़ौजदारी बाबा को जलार्पण कर रहे हैं वही थके मांदे कांवरियों को भुट्टे का सेवन करा रही हैं बासुकीनाथ की महिलाएं।

पारा 40 के ऊपर हो और  उमस (सापेक्षिक आद्रता) चरम पर तो  ऐसी स्थिति में भगवा वस्त्र में लिपटे कांवरियां इधर उधर छांव की तलाश में तो भटकेंगे ही। लेकिन असीम श्रद्धा की मिसाल पेश करते है यह श्रद्धालु । बाबा बासुकीनाथ को  जलार्पण करने के  बाद ही श्रद्धालुओं को तेज भूख प्यास का एहसास होता है। और ऐसे में रोड के किनारे  फुटपाथ पर तपती दुपहरी में भी महिलाएं शिवभक्तों को ताजा भुट्टा (मकई का बाली) खिलाने के लिए तत्पर रहती हैं। सर पर तीखी सूर्य की किरणें झेलती  और कूट से या पंखे से हवा करती हैं और आंच लगाती हैं।

चाहे एक मकई के बाली के 10 रुपये ही क्यों न इन महिलाओं को मिलता हो,  इनकी  धीरता और सहनशक्ति तारीफ़ ए काबिल है। लगातार 8-8 घंटे इस भीषण गर्मी को झेलती कोयले की  तपती आंच में भुट्टा पका कर खिलाने का काम, कहीं से  व्यवसाय का अंग नहीं प्रतीत होता  बल्कि महिलाओं की ओर से श्रद्धालुओं को सप्रेम भेंट मानी जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

बासुकीनाथ प्रखण्ड के हटिया परिसर में रहनेवाली सुगनी देवी बताती हैं कि 55 वर्ष की आयु में भी उन्हें यह काम करने में आनंद आता है। सावन के महीने में जो श्रद्धालुओं की उपस्थिति से बासुकीनाथ धाम भगवा रंग में रंग जाता है तो  उनके अंदर भी असीम ऊर्जा का संचार होता है। यही वजह है कि गर्मी और उमस को धता बताते हुए वह भक्तजनों की सेवा में लगी रहती हैं।कुशीनगर , देवरिया उत्तर प्रदेश के राजेश बम ने बताया कि इतनी गर्मी में खिच्चा भुट्टा खाकर मन तृप्त ही गया। भुट्टा बेचनेवाली महिलाओं को शुभकामना देते हुए बोल बम का नारा लगाते हुए आगे बढ़ जाते हैं कांवरियां बम।

Post Author: Sikander Kumar

Sikander is a journalist, hails from Dumka. He holds a P.HD in Journalism & Mass Communication, with 12 years of experience in this field. mob no -9955599136

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