दुमका : हक व जमीन के लिए 1857 में हूल हुआ था। उसके बाद क्या हुआ। आज भी लोग उसी जमीन के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं। हर आंदोलन जमीन के लिए ही हुआ। अगर हक को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इसके लिए लड़ाई लड़ते रहनी होगी। उक्त बातें झाविमों प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने रविवार को इंडोर स्टेडियम में हक और माटी बचाओ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि जिस जमीन के लिए सिदो-कान्हु जैसे वीर योद्धा शहीद हुए, आज उसी जमीन को सरकार पूंजीपतियों के लिए खरीदना चाहती है। गोड्डा में किस तरह से पावर प्लांट के लिए जमीन की कीमत कम कर दी। इस सरकार की पहली नजर यहां के आदिवासी व मूलवासियों की जमीन पर है। वह किसी तरह से जमीन हथियाना चाहती है। आजादी के बाद जितने भी आंदोलन सब जमीन के लिए हुए। अगर आदिवासी व मूलवासी अपनी जमीन बचाना चाहते हैं तो उन्हें लड़ाई जारी रखनी होगी। संघर्ष से पीछे नहीं हटना होगा। कहा कि जो जमीन बचाने के लिए सड़क पर आते हैं तो सरकार उन पर गोलियां चलवा देती है। झूठे केस में जेल भेज देती है। झाविमो ही एक ऐसा दल है जो गरीबों के अधिकार के लिए लगातार संघर्ष करते आ रहा है। उन्होंने कहा कि पता चला कि राज्यपाल ने सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को वापस कर दिया है लेकिन इससे खुश होने की जरूरत नहीं है। सरकार फिर से कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर पास करा सकती है। प्रावधान कहता है कि अगर दूसरी बार प्रस्ताव राज्यपाल के समक्ष लाया जाता है तो उसे मंजूरी देनी पड़ती है। कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष धर्मेद्र सिंह बिट्टू, नुनुलाल मरांडी, अंजुला मुर्मू, छोटू मुर्मू, मार्था हांसदा, विनोद शर्मा, जमील अख्तर, सनोत हांसदा आदि शामिल थे।
मंत्री को पेट्रोल पंप सरेंडर कर देना चाहिए था
दुमका।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विधायक सह मंत्री लुईस मरांडी को 05 में पेट्रोल पंप मिला था। इसके तीन साल बाद वे सरकारी सेवा में आ गई। इन तीन साल के बीच का कोई मामला नहीं बनता है। आठ के बाद उन्हें एक साथ दो सेवा में नहीं लेना चाहिए था। उन्होंने पंप सरेंडर कर देना चाहिए। अगर मंत्री ने पंप अपने बेटे के नाम कर दिया तो उन्हें सामने आकर इस बात को रखना चाहिए।