मुख्यमंत्री सत्ता और विपक्ष के सवालों का जबाव नहीं देने के लिए शीतकालीन सत्र नहीं कराना चाहते हैं – प्रदीप यादव

केंद्र की तरह राज्य सरकार भी स्वायत संस्थाओं को समाप्त करना चाहती है। मुख्यमंत्री भी सत्ता और विपक्ष के सवालों का जबाव नहीं देने के लिए शीतकालीन सत्र को आहूत नहीं कराना चाहते हैं। अगर ऐसा हुआ तो विपक्ष शांत बैठनेवाला नहीं है। विधानसभा परिसर में ही आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

दुमका । यह बात बुधवार को परिसदन में झाविमो के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव ने कही। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार स्वायत संस्थाओं के पर काटकर अपने इशारे पर चलाना चाहती है। इससे सीवीसी, रिजर्व बैंक, कैज जैसी संस्थाओं पर प्रश्नचिह्न लगने लगा है। सुप्रीम कोर्ट के जज भी मैदान में उतरकर अपनी बात रख चुके हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर भी सवाल उठा चुके हैं। उसी तर्ज पर चलते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास शीतकालीन सत्र को बुलाना नहीं चाहते हैं। साल में छह माह के अंदर सत्र बुलाना जरूरी है और यह दिसंबर में होता है। सत्र शुरू होने से 14 दिन पहले सूचना जारी की जाती है। राज्यपाल और विधानसभा के बाद विधायक तक सूचना देने में चार दिन लग जाता है। परन्तु अभी तक किसी तरह की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। मुख्यमंत्री स्वयं सत्र नहीं बुलाने की बात कह रहे हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि पारा शिक्षक पर लाठीचार्ज, मनरेगा कर्मियों की हड़ताल, सुखाड़, बिजली और गिरती कानून व्यवस्था आदि के बारे में किसी तरह का सवाल नहीं पूछा जाए। हड़ताल के मुद्दे पर सत्ता पक्ष के विधायक और सांसद बयानबाजी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को लग रहा है कि अगर सत्र बुला लिया तो उन्हें सत्ता से हटना पड़ सकता है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए ही वे सत्र बुलाना नहीं चाहते हैं। सत्ता पक्ष भला न पूछे लेकिन विपक्षी विधायक इन बातों को जरूर उठाएंगे। इसी डर से भागकर वह गांव के इलाकों में सभा कर रहे हैं और कहते हैं कि विपक्षी विधायक की वजह से सत्र आहूत नहीं हो पाएगा। प्रतिपक्ष के नेता कोई सवाल तक नहीं पूछते हैं उन्हें यह नहीं पता है कि प्रतिपक्ष के नेता और मंत्री की बजाय केवल विधायक ही सवाल पूछते हैं। वह गांव-गांव जाकर जनता को बरगला रहे हैं। अगर सरकार ने सत्र नहीं बुलाया तो मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है। हरहाल में मुख्यमंत्री को सत्र बुलाना होगा। ऐसा नहीं होने पर विपक्षी विधायक आंदोलन के लिए विवश होंगे। मौके पर केंद्रीय प्रवक्ता प्रो अंजुला मुर्मू, जिलाध्यक्ष धर्मेद्र सिंह आदि मौजूद थे।

मुख्यमंत्री आते और पड़ जाता डाका

विधायक ने कहा कि 25 जनवरी को मुख्यमंत्री शिकारीपाड़ा में आए थे और इसी दिन एसबीआइ के एटीएम से 30 लाख रुपया चोरी हो गया। मंगलवार को भी मुख्यमंत्री के जिले में रहते हुए भी पंजाब नेशनल बैंक से करीब 32 लाख रुपया लूट लिया गया। यहां के अधिकारी मुख्यमंत्री के आगमन पर चेहरा दिखाने में लगे रहते हैं। सुरक्षा में सारे जवान लगा दिए जाते। दुमका ही नहीं रांची में इसी तरह परेशानी का सामना किया जा रहा है। अपराधी ने पुलिस को खुली चुनौती दी है। राज्य की विधि व्यवस्था बेलगाम हो गई है।

Post Author: News Desk

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *