(झारखण्ड देखो/प्रतिनिधि)
दुमका: सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के शिक्षक ने विवि की लचर स्थिति पर अपना विचार इस प्रकार रखा। उच्च शिक्षा क्षमें गिरावट के कई कारण बताए। जिनमें प्रमुख है।
शिक्षकों का घोर आभाव
प्रतिष्ठा स्तर का जिस कॉलेज में जितना पोस्ट सेंक्शन है उतना भी शिक्षक नही है, किंतु ऐसे कॉलेजों में भी बिना पोस्ट एवं शिक्षक के पीजी की पढ़ाई वर्षों से चल रही है। छात्रों का रिजल्ट भी अच्छा ही हो रहा है। विश्वविद्यालय एवं सरकार अपनी पीठ स्वयं थपथपा रही है। आउटपुट कैसा मिल रहा है, इसपर कोई सोचने वाला नही है। प्रश्न उठता है की बिना शिक्षक के प्रायः छात्र अच्छे प्राप्तांक से कैसे पास कर जाता है।
विश्वविद्यालय में उपलब्ध शिक्षकों में घोर निराशा
शिक्षकों को लम्बे दिनों से प्रोमोशन नहीं मिल रहा है। संयुक्त बिहार में 1996 में नियुक्त वैसे शिक्षक जो बिहार मे रह गए वो प्रोफेसर हो गए एवं झारखंड के ये शिक्षक अभी तक या तो अस्सिटेंट प्रोफेसर ही हैं या कुछ कुछ एसोसिएट प्रोफेसर।
2008 में नियुक्त शिक्षकों का एक भी प्रोमोशन पिछले 13 वर्ष में नहीं हुआ है। 10 वर्ष बाद ही सही पिछले वर्ष शिक्षा विभाग/विश्वविद्यालय की तंद्रा टूटी, ऐसा लगा कि स्टेच्यूट 2010 अब बन जायेगा और 2008 के शिक्षकों का प्रोमोशन हो जायेगा। 2008 के शिक्षक और भी खुश हुए जब स्टेच्यूट 2018 बनने की प्रक्रिया भी पिछले वर्ष प्रारंभ हुई। सभी विश्वविद्यालय के सीनेट/सिंडिकेट ने उपरोक्त दोनों स्टेच्यूट को पारित कर दिया। लेकिन ये दोनों स्टेच्यूट अभी तक शिक्षा विभाग/वित्त विभाग/कर्मिक विभाग के जटा से बाहर नहीं निकल पा रहा है। स्टेच्यूट बनाने से संबधित आदेश लगभग 3 वर्ष पूर्व ही एक केस में झारखंड उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार को दिया है।
पीएचडी इंक्रिमेंट राज्य सरकार के आला अधिकारी के जटा से बाहर नही निकल पाया है। इस संबंध में भी उच्च न्यायालय ने इसे लागू करने का आदेश दिया है।
विलंब से ही सही सांतवा वेतनमान लागू हो गया। किन्तु अबतक विश्वविद्यालय शिक्षकों को छठा वेतनमान के आधार पर ही आवास एवं चिकित्सा भत्ता मिल रहा है। जबकि राज्य सरकार के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी को सेवंथ पे के अनुसार ये दोनों भत्ता मिल रहा है।
उन्होंने सुधार के लिए कुछ सलाह भी दिये है
पीजी की पढ़ाई वैसे कॉलेज में बन्द किया जाय जहां पीजी के लिए राज्य सरकार/विश्वविद्यालय के द्वारा पद एवं शिक्षकों की आपूर्ति नहीं की गयी है।
प्रत्येक कॉलेज में छमता के आधार पर न्यूनतम शिक्षकों की बहाली की जाय।
प्रायोगिक विषयों में लेब टेक्निशयन की बहाली की जाय। जिससे नियमित प्रायोगिक कक्षाएं हो सके ।
अविलंब स्टेच्यूट -2010 एवं 2018 को बनाते हुए विश्वविद्यालय शिक्षकों को प्रोन्नति दिया जाय एवं
विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता पर आघात न किया जाय आदि शामिल है.
(दुमका से प्रकाश प्रसाद साह की रिपोर्ट)