दुमका:(झारखण्ड) कठिन परिस्थितियों में भी निःस्वार्थ भाव से तथा निजी व्यय पर पत्रिका का प्रकाशन जहाँ एक ओर बांग्ला साहित्य को एक मुकाम दिलाने के समान है, वहीं दूसरी ओर बांग्ला साहित्य के प्रति साहित्यकारों का रुझान अनवरत बनी रहे, इस दिशा में बांग्ला साहित्यकारों के लिए यह एक मील का पत्थर से कम नहीं। डॉ छाया गुहा के इस सद्प्रयास में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से डॉ चतुर्भुज नारायण मिश्र का योगदान किसी भी स्तर से कमतर नहीं कहा जा सकता। दुमका में रहकर पिछले 25 वर्षों से यह श्रमसाध्य काम डॉ0 छाया गुहा कर रही हैं, जिनकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है। साहित्यिक त्रैमासिक बांग्ला पत्रिका (जर्नल) श्यामलिमा की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर 25 दिसंबर (दिन सोमवार) 2023 को कचहरी परिसर, दुमका स्थित होटल महाराजा स्वीट्स के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दोपहर 2 से शाम करीब 7 बजे तक चला। इस अवसर पर प्रख्यात भाषाविद् और रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ पबित्रा सरकार बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में उपस्थित थे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता मयूराक्षी ग्रामीण महाविद्यालय, रानेश्वर के प्राचार्य प्रो रईस खान कर रहे थे। इस अवसर पर संदीप मंडल (प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी) व तन्वय वीर, एस पी महाविद्यालय दुमका के प्राचार्य डॉ खिरोधर झा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। पत्रिका की प्रकाशक व संपादक तथा एस के एम यू दुमका के बांग्ला विभाग की प्रथम विभागाध्यक्ष तथा एस पी महिला कॉलेज, दुमका की पूर्व प्राध्यापिका डॉ छाया गुहा के सौजन्य व सद्भावना से निकलने वाली पत्रिका पर अपनी बात रखते हुए मुख्य अतिथि व अन्य विशिष्ट अतिथियों ने कहा कि इस छोटे से जिले से वृहत बांग्ला भाषी समुदाय के साहित्यकारों, साहित्यप्रेमियों व अन्य के लिए इस तरह की पत्रिका का प्रकाशन
अपने आप में अनूठा है। उपरोक्त ने कहा कि बांग्ला साहित्य के प्रति लोगों का रुझान दिन व दिन कमता जा रहा है, जो भविष्य के लिए सुखद नहीं। मालूम हो,श्यामलिमा कई वर्ष पहले बचपन की उम्र पार कर चुकी है, वर्तमान में यह पत्रिका मध्य युवावस्था की उम्र तय कर रही है। पत्रिका के समृद्ध भविष्य के लिये बांग्ला, हिंदी, संताली सहित व अन्य भाषा के साहित्यकारों सहित साहित्य प्रेमियों व प्रबुद्ध वर्ग के लोगों से अपील की गई है कि अधिक से अधिक संख्या में वे अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्ला भाषा की इस पत्रिका के उज्ज्वल भविष्य पर अपना दृश्टिकोण बनाए रखें। महिला महाविद्यालय दुमका की पूर्व प्राचार्या ख्यातिप्राप्त प्रशासक व विदूषी महिला डॉ वानीसेन गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ छाया गुहा का यह प्रयास अभूतपूर्व और दुर्लभ है। उन्होंने कहा इस उम्र में जबकि व्यक्ति जीवन का शेष समय विश्राम में व्यतीत करता है, डॉ छाया गुहा साहित्य कर्म में लगी हुई हैं जो अनुकरणीय है।
इस समारोह में जहाँ एक ओर मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों व विशिष्ट व्यक्तियों को अंग वस्त्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया वहीं दूसरी ओर अलग अलग प्रदेशों में बसोबास कर रहे तथा विभिन्न क्षेत्रों में बड़े-बड़े पदों पर पदस्थापित महिला-पुरुषों के संदेशों से समारोह में उपस्थित लोगों को अवगत कराया गया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया और रविन्द्र संगीत से माहौल को खुशगवार बनाया गया। पूर्व विधायक व गीतकार कमलाकांत प्रसाद सिन्हा ने इस अवसर पर बांग्ला गीत से लोगों का मन मोह लिया। रजत जयंती समारोह में कई बांग्ला भाषी साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन किया गया। पत्रिका के रजत जयंती समारोह के संयोजक व हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत व बांग्ला भाषा के विद्वान तथा पूर्व अपर समाहर्ता/ अपर जिला दंडाधिकारी डॉ सी एन मिश्र ने संताली साहित्यकार चुंडा सोरेन सिपाही को अपने हाथों से सम्मानित किया।