सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन से विकास का रास्ता खुलेगा : डॉ लुईस मरांडी

झारखंड की बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने छोटानागपुर एवं संतालपरगना काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट) में संशोधन को लेकर विपक्ष पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि दोनों एक्टों में संशोधन के बावजूद रैयतों का मालिकाना हक कायम रहेगा। डॉ.मरांडी ने रविवार को दुमका स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य सरकार का सीएनटी एक्ट की धारा 21 एवं एसपीटी एक्ट की धारा 13 में मामूली संशोधन करने का प्रस्ताव है। लेकिन विपक्ष इन दोनों एक्टों में संशोधन के नाम पर जनता को गुमराह कर रही है। इस एक्ट में संशोधन के बाद रैयतों के मालिकाना हक और एक्ट की मूल भावना पर कही कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन पूर्व में अपने मुख्यमंत्री रहते हुए सीएनटी व एसपीटी एक्ट
में बदलाव की बात कह चुके है। लेकिन अभी विरोध जता रहे हैं। मरांडी ने कहा कि विकास योजनाओं के लिए जमीन की आवश्यकता है। जमीन के अभाव में राज्य में लगभग 400 से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवनों का निर्माण अधर में लटका हुआ है। छोटानागपुर अधिनियम 1908 एवं संताल परगना कास्तकारी अधिनियम 1949 में भूमि का उपयोग मात्र कृषि एवं संबंध कार्यो के लिए किया जा सकता है लेकिन वर्तमान संशोधन के प्रस्ताव से भू-स्वामी अपनी भूमि का उपयोग गैर कृषि कार्यो के लिए कर सकेंगे।स्वरोजगार के संभावनाओं को ध्यान में रखकर कोई भी भू-स्वामी अपनी भूमि पर होटल, दुकान, मैरेज हाल, आदि बनवा सकता है। भूमि का स्वामित्व हस्तांतरित नहीं होगा। पूर्व में यदि किसी भू-स्वामी द्वारा कृषि भूमि का प्रयोग गैर कृषि कार्य के लिए किया जा रहा है तो उसे विनियमित किया जा सकेगा। यह संशोधन जनजातीय परामर्श दात्री परिषद की बैठक में लिए गये प्रस्तावों के तहत ही किया जा रहा है। इससे विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

Post Author: News Desk

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