बीएड में नामांकन के लिए सिदो कान्हू मुर्मू विवि ने सरकार के नियम को रखा ताक पर – पहला भाग

बीएड में नामांकन के लिए सिदो कान्हू मुर्मू विवि ने सरकार के नियम को रखा ताक पर

झारखण्ड देखो” पोल खोल अभियान “के तहत पढ़िए सिदो कान्हू मुर्मू विवि दुमका की अब तक की सबसे बड़ी खबर

दुमका। आखिर सिदो कान्हू मुर्मू विवि प्रबंधन को ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि बीएड के एक सत्र 2018-20 मैं नामांकन के लिए सरकार के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश को पलटना पड़ा। यहां बता दें कि 2004 में झारखंड सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा पत्रांक 1382 में बीएड में नामांकन के लिए सरकार को नियम बताए गए हैं, लेकिन इस नियम को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 7 जनवरी 2019 को एक सत्र के लिए शिथिल कर दिया गया, आखिर ऐसा क्यों ? उक्त सत्र के लिए प्रतीक्षा सूची डीएसडब्ल्यू डॉ गौरव गांगुली के अनुसार दिसंबर 2018 तक की अंतिम सूची सभी अंगीभूत बीएड कॉलेजों को भेजी जा चुकी है, तो फिर सवाल उठता है कि जनवरी में नियम को शिथिल क्यों किया गया। जानकारी के अनुसार कही ये बदलाव निजी बीएड कॉलेजों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तो नहीं किया गया। यदि राजभवन की ओर से उच्च स्तरीय जांच समिति इसकी निष्पक्षता से जांच करे तो निश्चित रूप से इसमें कई चौंकाने वाली मामले सामने आएंगे। यहां बता दें कि झारखंड राज्य के अंतर्गत सभी अंगीभूतों एवं निजी बीएड कॉलेजों मैं नामांकन के लिए झारखंड का निवासी होना अनिवार्य है या सरकार द्वारा बताए गए  डोमिसाइल का पालन करना है। अब देखना है कि सत्र 2018-20 में जितने भी अभ्यर्थियों का नामांकन हुआ है, क्या वह सभी इस नियम को पूरा किए हैं या नहीं, यह एक जांच का विषय है। विश्वविद्यालय के जानकारों का  कहना है कि सरकार, राजभवन या उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कोई भी पत्र विश्वविद्यालय को प्राप्त होता है तो विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने मन से उसमें कोई संशोधन नहीं कर सकता है। इसके लिए जरूरत पड़ी तो वह सरकार को पत्र लिखेंगे। सरकार ही इसमें कोई बदलाव कर सकते है या सुझाव दे सकते है। जानकारी के अनुसार इसकी शिकायत मुख्यमंत्री के जनसंवाद केंद्र, राज्यपाल सह कुलाधिपति के प्रधान सचिव एवं ओएसडी (जे), राजभवन के शिक्षा सलाहकार, उच्च शिक्षा तकनीकी एवं कौशल विकास विभाग के सचिव एवं निदेशक, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव आदि को इसकी लिखित शिकायत करने की तैयारी चल रही है। ताकि मामला को विस्तृत जांच हो सके इसके बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और दोषी छोटे से लेकर बड़े पदाधिकारी के ऊपर सख्त कार्रवाई की जा सके।

Post Author: News Desk

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